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Tuesday, February 8, 2011

वो पल

जब आया था मे यहा पे,
डर था कुछ मेरे दिल मे।
लगता था हु अकेला,
ना मिलेगा साथ किसि का।
डर से थि हालत खराब,
मुह से निकलती थी ना कोइ आवाज़।
बिता जब पल यहा,
मिले नये दोस्त यहा।
हुआ कम डर मेरा,
मिल गया साथ सब का।
सीख गया अंदाज जीने का,
सीख गया शान से जीना।
जा रहा हु आज यहा से,
दिल मे लिये एक अरमान नया,
डर नहि अब कुछ भी दिल मे,
सिर्फ़ गर्व गर्व और गर्व है खुद पे।

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